Bhajan : सारे कष्ट मिटा देगा हनुमान जी का यह भजन, बजरंगी तेरे दरबार मे …

Bhajan : भजन प्रभु की आराधना का एक माध्यम है। यह भक्ति मार्ग को भी प्रशस्त करता है। भजन करने से न सिर्फ मन को शांति मिलती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती हैं। आसपास के अशुद्ध वातावरण का नाश होता हैं। भजन प्रभु के नाम का जाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है। सुबह प्रभु का भजन सुनने से दिनभर सकारात्मक ऊर्जा, मन में शांति, एकाग्रता की अनुभूति होती है। हजारों लाखों लोग सुबह उठ कर सबसे पहले भजन सुनते हैं। सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा का पाठ, सुंदरकांड, भगवान शंकर और और अन्य देवी-देवताओ के भजन पसंद करते हैं। वैसे पंचाग के अनुसार शनिवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्ट से मुक्ति मिलती है। हम भी हनुमान जी के इस सुंदर भजन से अपने दिन की शुरुआत करते हैं। भजनों से दिन की शुरुआत के इस कॉलम में हम आपको मिलेगए देवी-देवताओं के एक से बढ़ कर एक सुंदर भजन, भजन सांध्य का, जिसमें मिलेगा हर दिन नए-नए भजन…

Source : Song: Bajrangi Tere Darbaar Mein, Singer: Rohit Tiwari Baba, Lyrics: Dhaneshvar Prasad (Dr Purodha), Music Director: Rohit Tiwari Baba, Recording: Aadya Music Studio

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ध्यान को केन्द्रित करने में मदद : भगवान की स्तुति में भजन-कीर्तन, गायन की परंपरा सदियों से चल रही है। भजन के सरल मधुर गीत और राग ध्यान को केन्द्रित करने में मदद करते है। साधक के लिए वह परमात्मा से एक होने का मार्ग है। भजन परमात्मा तक पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका भी है। वैसे भजन से लाभ के बारे में यह भी कहा जाता है कि भजन और मंत्रों को सुनने से कोशिकाओं में गतिविधि बढ़ जाती है। मस्तिष्क सक्रिय होता है जो हमें अधिक विश्लेषणात्मक और चौकस बनाता है, इसलिए ज्यादातर लोग सुबह सुनना पसंद करते हैं।

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मानवीय गुणों का निर्माण: भजन मानवीय गुणों के निर्माण में मदद करते हैं। इससे सकारात्मकता आती है। संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है। जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होता है। मूल रूप से, भजन हमारे परिवेश के बारे में जागरूकता बढ़ाने की क्षमता रखते हैं और कीर्तन का अभ्यास करने से नींद के पैटर्न में सुधार होता है। भजन हमें केवल शांति और आराम देता हैं।

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भजन-कीर्तन से बढ़ती है प्रेम-भावना और सह्रदयया : भजन-कीर्तन में तन्मयता से रमते हैं तो इनके मन के भाव निश्छलता से भर जाता है और मन के नकरात्मक भाव दूर होते जाते हैं। भजन कीर्तन इसलिए भी श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि जब भी भक्त में रमकर भजन कीर्तन करते हैं तो ह्रदय में प्रेम-भावना और सह्रदयता को बढ़ता है। वाणी में मधुरता आती है। मन की अवस्था बहुत तेजी से उन्नत हो जाती है. इसके बाद अगर ध्यान किया जाए या प्रार्थना कि जाए तो वह तुरंत पूरी होती है। शरीर को आत्मबल और शक्ति देता है। कीर्तन कोई बौद्धिक योग नहीं है लेकिन इसकी तरंगे जब मन के गहराई में उतरती हैं तो ये शरीर में रोग को दूर करने का काम करता है। भजन और कीर्तन के सही प्रयोग से व्यक्ति को मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

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