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Bhajan

Bhajan : भजन भगवान की आराधना का एक बेहतर माध्यम है। भजन गाने या भजन सुनने के भी कई लाभ है। भजन सुनने से प्रतिरक्षा को बढ़ावा मिलता है। आनंद की प्राप्ति होती है और संतोष महसूस होता है। भजन हमारे विचारों को बदलने में भी सक्षम है। क्या आप जानते है वास्तव में भजन क्या है। भजन सुनने के क्या-क्या लाभ है। मूल रूप में देवी-देवताओं की एक गीतात्मक महिमा का गायन करना भजन है, जो भक्त के प्रेम को परमात्मा तक पहुंचाने का माध्मय भी है। भजन सुनने और गाने से न केवल मन को शांति मिलती है बल्कि भजन प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। चिंता दूर होती है। भजन भक्ति मार्ग को प्रशस्त करता है। आसपास के अशुद्ध वातावरण का नाश होता हैं। सुबह प्रभु का भजन सुनने से दिनभर सकारात्मक ऊर्जा, मन में शांति, एकाग्रता की अनुभूति होती है। इसलिए हजारों-लाखों लोग सुबह उठ कर सबसे पहले भजन सुनते हैं।

Source : Album :- Aardhana, Song:- Mange Ki Aadat Jati Nahi, Singer :- Ravi raj , Lyrics:- Tradational, Company/ Label :- Bhakti Dhaam

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ध्यान को केंद्रीत करने में मदद : भगवान की स्तुति में भजन-कीर्तन, गायन की परंपरा सदियों से चल रही है। भजन के सरल मधुर गीत और राग ध्यान को केन्द्रित करने में मदद करते है। साधक के लिए वह परमात्मा से एक होने का मार्ग है। भजन परमात्मा तक पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका भी है। वैसे भजन से लाभ के बारे में यह भी कहा जाता है कि भजन और मंत्रों को सुनने से कोशिकाओं में गतिविधि बढ़ जाती है। मस्तिष्क सक्रिय होता है जो हमें अधिक विश्लेषणात्मक और चौकस बनाता है, इसलिए ज्यादातर लोग सुबह सुनना पसंद करते हैं।

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मानवीय गुणों का निर्माण: भजन मानवीय गुणों के निर्माण में मदद करते हैं। इससे सकारात्मकता आती है। संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है। जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होता है। मूल रूप से, भजन हमारे परिवेश के बारे में जागरूकता बढ़ाने की क्षमता रखते हैं और कीर्तन का अभ्यास करने से नींद के पैटर्न में सुधार होता है। भजन हमें केवल शांति और आराम देता हैं।

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भजन-कीर्तन से बढ़ती है प्रेम-भावना और सह्रदयया : भजन-कीर्तन में तन्मयता से रमते हैं तो इनके मन के भाव निश्छलता से भर जाता है और मन के नकरात्मक भाव दूर होते जाते हैं। भजन कीर्तन इसलिए भी श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि जब भी भक्त में रमकर भजन कीर्तन करते हैं तो ह्रदय में प्रेम-भावना और सह्रदयता को बढ़ता है। वाणी में मधुरता आती है। मन की अवस्था बहुत तेजी से उन्नत हो जाती है. इसके बाद अगर ध्यान किया जाए या प्रार्थना कि जाए तो वह तुरंत पूरी होती है। शरीर को आत्मबल और शक्ति देता है। कीर्तन कोई बौद्धिक योग नहीं है लेकिन इसकी तरंगे जब मन के गहराई में उतरती हैं तो ये शरीर में रोग को दूर करने का काम करता है। भजन और कीर्तन के सही प्रयोग से व्यक्ति को मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

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